रियाजुल हक
जौनपुर के वाजिदपुर तिराहा स्थित सिद्धार्थ हॉस्पिटल में वहां के वरिष्ठ सर्जन डॉक्टर लाल बहादुर सिद्धार्थ द्वारा जौनपुर के ही एक व्यक्ति के पेट से स्टील का गिलास सफलतापूर्वक निकाले जाने के बाद जौनपुर में चर्चाओं का बाजार गर्म हो गया था कि आखिर एक व्यक्ति के पेट में गिलास गया कैसे ?, लोगों ने अपने-अपने तमाम तथ्य भी बयान किए लेकिन इस पूरे घटनाक्रम पर तब पूर्ण विराम लग गया जब ऐसी ही एक घटना की खबर 22 अगस्त को विभिन्न राष्ट्रीय अखबारों में छपी की उड़ीसा के बरहमपुर में एक 45 वर्षीय व्यक्ति के पेट से सफलतापूर्वक वहां के एमकेसीजी मेडिकल कॉलेज के सर्जनों की एक बड़ी टीम ने उसके पेट से निकाला, मेडिकल कॉलेज के डॉक्टर सत्य स्वरूप पटनायक ने बताया कि मेडिकल कॉलेज में एक 45 साल का व्यक्ति एडमिट हुआ जिसका पेट बहुत ज्यादा सुजा हुआ था और वह असहनीय दर्द से करहा रहा था, जिसका तुरंत एक्सरा कराया गया तो उस में पता चला कि उसके पेट में गिलास है जिसको डॉक्टरों की टीम ने सफलतापूर्वक ऑपरेशन करके निकाला टीम में डॉ संजीत कुमार नायक सहित कुल आधा दर्जन मेडिकल कॉलेज के डॉक्टर सम्मिलित रहे।
बरहमपुर के एसपी डॉ विवेक ने बताया कि उक्त व्यक्ति सूरत गुजरात के 1 मील में काम करता था जहां 9 अगस्त को उसने कुछ अपने साथियों के साथ शराब पी और शराब के नशे में ही उसके साथियों ने उसके अनल के माध्यम से स्टील का गिलास उसके पेट में डाल दिया जब वहां पर वह इलाज नहीं करा पाया तो वह अपने घर उड़ीसा चला आया,।
वही इधर जौनपुर में भी इसी तरीके की एक घटना इसी महीने की 4 अगस्त को महाराजगंज थाना अंतर्गत एक गांव के एक व्यक्ति जिसकी उम्र 46 वर्ष है के साथ भी हुई थी, उस व्यक्ति ने अपने बयान में बताया कि जिस दिन उसके साथ यह घटना हुई उसने अत्यधिक मात्रा में शराब पी हुई थी और कुछ लोग उसके पास आए जो दुश्मनी वस स्टील का एक गिलास उसके अनल के माध्यम से उसके पेट में डाल दिए पहले तो वह क्षेत्र के ही कुछ डॉक्टरों के यहां दौड़ा लेकिन दो दिन के बाद सिद्धार्थ हॉस्पिटल में उसने डॉक्टर से संपर्क किया जहां पर डॉक्टर लाल बहादुर सिद्धार्थ ने सफलतापूर्वक उसके पेट से स्टील का गिलास निकाला था,वह अब सुरक्षित है तथा उसको एक नया जीवनदान मिल गया है। उड़ीसा में हुई इसी प्रकार की घटना के बाद से लोगों की जबां पर अब यह चर्चा नहीं होगा की आखिर एक स्टील का गिलास किसी के पेट में कैसे जा सकता है।

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