उत्तर प्रदेश, जनपद जौनपुर

जनपद जौनपुर मड़ियाहूं तहसील बरसठी – स्थानीय विकास खंड स्थित यथार्थ पब्लिक इंटर कॉलेज पलटूपुर से बरसठी बाज़ार तक एक साईकिल जागरूकता रैली का अयोजन आदर फाउंडेशन और ग्रोथ वॉच संस्था के संयुक्त तत्वावधान में  ‘इंटरनेशनल डे फॉर प्रीवेंटिंग एक्स्प्लॉयटेशन ऑफ़ एनवायरमेंट इन वार एंड आर्म्ड कनफ्लिक्ट’  दिवस के अवसर पर किया गया जिसमें लगभग 100 प्रतिभागियों ने हिस्सा लिया, जिसका उद्देश्य  पर्यावरण क्षति के संरक्षण प्रति जागरूक करना था ।

कार्यक्रम के अयोजन विषयवस्तु और आवश्यकता के विषय में बात करते हुए आदर फाउंडेशन के प्रतिनिधि अजित यादव ने कहा कि जलवायु परिवर्तन का खामियाजा , जलवायु परिवर्तन के कारण होने वाली आपदाओं के विनाशकारी प्रभावों से हम सभी पीड़ित हैं। लगातार और तीव्र हो रहे मौसम और जलवायु की घटनाएं तथा प्राकृतिक खतरे कई विकासशील देशों को प्रभावित कर रहे हैं। जमीन, अर्थव्यवस्था और पारिस्थितिकी तंत्र को नष्ट किया जा रहा है। बहुत से लोग मर रहे हैं, साथ ही गंभीर  गरीबी में घिरते रहे हैं।
जलवायु परिवर्तन ऊर्जा और बिजली बनाने के लिए जीवाश्म ईंधन-कोयला, गैस और तेल के लगातार जलने का परिणाम है। जब जीवाश्म ईंधन को जलाया जाता है, तो ग्रीनहाउस गैसें वातावरण में  जाती हैं, जो गर्मी को पैदा करती  हैं और ग्लोबल वार्मिंग का कारण बनती हैं। दूसरे शब्दों में मानवीय गतिविधियाँ जलवायु परिवर्तन का कारण बनती हैं।
दुनिया के  अरबों गरीब लोग  जलवायु परिवर्तन के प्रति सबसे अधिक प्रभावित हैं। अमीर, औद्योगिक देश, उनके अभिजात वर्ग और कारपोरेशन जलवायु संकट के लिए सबसे बड़ी जिम्मेदारी वहन करते हैं। वे लोगों और इस पृथ्वी  को जोखिम में डालते हुए जीवाश्म ईंधन जलाकर पैसा कमाते हैं।
बड़े उत्सर्जक हम पर ऋणी हैं –
2009 में, अमीर देशों ने विकासशील देशों में जलवायु कार्रवाई हेतु निधि देने के लिए 2020 तक संयुक्त रूप से जलवायु फंड  में सालाना 100 बिलियन डॉलर जुटाने का संकल्प लिया। 2030 के बीच अनुमानित  कम से कम 11 ट्रिलियन डालर जलवायु फंड की आवश्यकता है । लेकिन जलवायु फंड  की इतनी कम राशि  के बावजूद, अमीर देश अभी भी 2020 के अपने दायित्व को पूरा करने में विफल रहे हैं।
जलवायु वित्त विकासशील देशों के लिए बड़े उत्सर्जक के लिए एक दायित्व और ऋण दोनों है। यह ग्लोबल वार्मिंग में उनके अत्यधिक योगदान के प्रभावों के लिए मुआवजा है।जलवायु संकट का कोई न्यायसंगत और उचित समाधान नहीं है यदि वे अपने जलवायु ऋण को नहीं पहचानते हैं और भुगतान नहीं करते हैं, तो यह अरबों गरीब और बेकसूर लोगों पर अन्याय होगा इस कार्यक्रम के जरिए हम दुनिया भर में जलवायु न्याय की आवाज़ मजबूत कर रहे हैं। कार्यक्रम में यथार्थ पब्लिक स्कूल के प्रबंधक अशोक कुमार उनके विद्यालय के शिक्षक और छात्र तथा क्षेत्र के गणमान्य लोग उपस्थित रहे।

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